CELL -बैटरी
Definition
सेल वह इकाई है जो रासायनिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित करती है
सेलों के समूह को बैटरी कहते हैं
Structure of cell
सेल में सामान्यता दो धातुओं की छड़ों को किसी धातु लवण की द्रव्य मे डुबोकर रखा जाता है इन धातु छडो को विद्युत तार द्वारा जोड़ा जाता है जिससे इलेक्ट्रोलाइट में रसायनिक क्रिया प्रारंभ हो जाते हैं और हमें विद्युत प्राप्त होता है
{सेल की संरचना में प्रयुक्त मुख्य अभिनव निम्न प्रकार है}
(¹) Electronic
ऐसा विलियन जिसमे से विद्युत धारा प्रवाहित करने पर उसकी संरचना परिवर्तित हो जाएं इलेक्ट्रोलाइट कहलाता है
यह अम्लीय एवं अकार्बनिक विलियन होता है
कार्बनिक विलियन = वनस्पति तेल, एल्कोहल , स्पर्िट इत्यादि।
अकार्बनिक विलियन = अशुद्ध जल !
(2) Electrode
इसमें से विद्युत धारा प्रवाहित करने के लिए दो धात्विक छडो की आवश्यकता होती है इलेक्ट्रोड कहलाता है
यह दो प्रकार का होता है 1) एनोड ,2)कैथोड !
(3) Electrical Decomposition { विद्युतिक अपघटन }
जब किसी इलेक्ट्रोलाइट पदार्थ को जल आदि विलायक पदार्थों में घोला जाता है तो वह आईनेस में विभक्त हो जाता है
इनमें से एक प्रकार के आयनेस धनायन तथा दूसरे आयनेस को ऋणायन कहते हैं
जैसे - H2SO4 --> 2H+ +SO4-2
CUSO4--> CU2 + SO4-2!
वैद्युत अपघटन में पहली प्रक्रिया में गंधक का अम्ल हाइड्रोजन + तथा सल्फेट - आयन में विभक्त हो जाता है
दूसरी क्रिया में कॉपर + तथा सल्फेट - आयन में विभक्त हो जाता है जब एनोड मे से DC स्त्रोत को धन सिरे से तथा कैथोड को ऋण सिरे से संयोजित किया जाता है तो इलेक्ट्रोड में विद्युत धारा उत्पन्न होने लगता है
धनायन केथोड की और ऋणआयन एनोड की ओर गति करने लगती है गंधक के अम्ल में H+ आयन कैथोड को अपना आवेश देकर H गैस H2 बनाते हैं और so4 आयन एनोड पर पहुंचकर जल के साथ क्रिया करके पुनः H2SO4 तथा ऑक्सीजन गैस बनाते हैं
जैसे - 2H2O + 2SO4-2 -->2H2SO4 + O2
Types of cell
{1} PRIMARY CELL
वह सेल जो कुछ घंटों तक कार्य करने के बाद विद्युत ऊर्जा को पैदा करने योग्य नहीं रहता वह प्रायमरी सेल कहलाता है
यह सेल निम्न प्रकार के होते हैं
voltaic cell
Danial cell
Lechlanche cell
Dry cell
Mercury cell
Silver oxide cell ,etc.
{2} SECONDARY CELL
वह सेल जिसे बार-बार विद्युत से आवेशित करके विद्युत ऊर्जा प्रदान करने के लिए उपयोग किया जाता है सेकेंडरी सेल कहलाता है
इसमें एक बार भरा गया इलेक्ट्रोलाइट अनेक समय तक कार्य करता है
वास्तव में यह सेल विद्युत उत्पन्न नहीं करता बल्कि उसे एकत्र करते हैं इसलिए इन्हें संचायक सेल भी कहते हैं
यह निम्न प्रकार के होते हैं
Lead acid cell
Nickel iron cell
Nickel cadmium cell, etc.
* Lead acid cell
इस सेल का बर्तन कठोर रबड़ का बना होता है और पायः चकोर होता है
इसमें प्लेटों के दो समूह होते हैं एक समूह पॉजिटिव तथा दूसरा नेगेटिव होते हैं नेगेटिव समूहों के प्लेटो की संख्या पॉजिटिव समूह के प्लेटों की संख्या से एक अधिक होता है
नेगेटिव प्लेट की संख्या अधिक इसलिए रखी जाती है जिससे कि प्रत्येक पॉजिटिव प्लेट दोनों ओर से कार्य कर सकें
प्लेटो के निर्माण के लिए शीशे के जाली का प्रयोग किया जाता है और जाली के डांचे में रेड लेड pb3O4 को परत के रूप में जमा दिया जाता है
प्लेटो को टिकाने के लिए इलेक्ट्रोलाइट के बर्तन की तली में कठोर गुटके बने होते हैं
पॉजिटिव तथा नेगेटिव प्लेटों के बीच लकड़ी या कठोर रबड़ के पृथक कड़ी लगाए जाते हैं
इसमे तनु h2 so4 इलेक्ट्रोलाइट के रूप में प्रयोग किया जाता है
दोनों प्रकार के प्लेटों के समूहों से टर्मिनल बर्तन के बाहर निकाल दिए जाते हैं एवं बर्तन को ऊपर से सील कर दिया जाता है
प्रत्येक सेल में एक क्षिर्द युक्त अवश्य रखा जाता है जिसकेे द्वारा रसायनिक क्रिया में निकली गैसे बाहर निकल सके
इस तरह के सेलो में प्लेटो की कुल संख्या11, 13 ,17 ,23 और 25 की होती है !
{Chemical reactions of Lead acid cell}
(1) Forming
सेल में तनु S2 so4 का अम्ल भरते ही यह क्रिया प्रारंभ हो जाती है यह कार्य प्रायः बैटरी विक्रेताओं के द्वारा ही कर दिया जाता है
PB3O4 + 2H2SO4 --> PBO2 + 2PBSO4 + 2H2O
(2) Charging
सेलो में h2 so4 अम्ल के भरने के 10 -12 घंटों बाद उसे डीसी स्रोत से जोड़ दिया जाता है जिससे कि वेधुतीक उर्जा को रासायनिक क्रियाओं में एकत्र किया जा सके
इस कार्य के लिए प्लेटों के डीसी सप्लाई से पॉजिटिव और नेगेटिव सिरो को संयोजक के पॉजिटिव और नेगेटिव सिरों से जोड़ दिया जाता है
H2O -->2H+ +O-
*एनोड -- PBSO4 + H2O- -->PBO2 + H2SO4
*कैथोड --PBSO4 + 2H+ --> PB + H2SO4
चार्जिंग र्केिया के फलस्वरुप सेल की धन प्लेटो लैड पाराऑक्साइड pbo2 की तथा ऋण प्लेटों स्पंजी लेड PB बन जाती है
( 3) Discharging
सेलो के उपयोग में लाने के पश्चात उसका आवेश घटने लगता है यह क्रिया डिसचार्जिंग कहलाते है इसमें निम्न रासायनिक क्रियाएं होती है
H2O -->2H+ + O2-
(a) एनोड पर -- PBO2 + 2H+ + H2SO4 ->PBSO4 + 2H2O
(b) कैथोड पर -- LB + O2- + H2SK4 -->PBSO4 + H2O
discharging क्रिया के फल स्वरुप दोनों प्लेटों लेड सल्फेट pbso4 बन जाती है और इलेक्ट्रोलाइट में जल की मात्रा बढ़ जाने से उसका घनत्व घट जाता है
(4) Recharging
जब उपयोग में लाते लाते सेलो का आवेश काफी कम हो जाता है तो उसे पुनः चार्ज किया जाता है यह क्रिया रिचार्जिंग कहलाती है यह क्रिया चार्जिंग क्रिया के समान होती है और इसके अंतर्गत वही रासायनिक क्रियाएं होती है जो चार्जिंग क्रिया के अंतर्गत होते हैं इस क्रिया में h2 so4 के निर्माण के कारण इलेक्ट्रोलाइट का आपेक्षिक घनत्व बढ़ जाता है पूर्ण आवेशित लेड एसिड सेल का विद्युत वाहक बल 2.2 वोल्ट होता है!
Nickel cadmium cell
इस सेल के ऋणआत्मक प्लेटों में सक्रिय पदार्थ के रूप में केडीएम ऑक्साइड तथा लोह का मिश्रण प्रयोग किया जाता है
इस मिश्रण में 2.8% से 4.8% तक सोलर तेल मिलाया जाता है जिससे प्लेटो की कैपेसिटी स्थिर होती है तथा केडियम प्रयोग करने से सेल का आंतरिक प्रतिरोध घट जाता है
इलेक्ट्रोलाइट निकिल लोह छारिये स्टोरेज के समान ही इस सेल की प्लेटें समूहो में जुड़ी होती है
दोनों में अंतर केवल इतना है कि निकेल केडियम सेल में धनात्मक प्लेटों के संख्या ऋणात्मक प्लेटों की संख्या से एक अधिक होती है एवं किनारों की प्लेटों सदैव धनात्मक होती है तथा पात्र विद्युत रूप से जुड़ी होती है !
Lithium cell
लिथियम सेल दो प्रकार के होते हैं लिथियम सोडियम डाइऑक्साइड एवं लिथियम थिनोयल क्लोराइड
लिथियम सोडियम डाइऑक्साइड सेल को सल्फर डाइऑक्साइड तरल स्थिति में रखा जाता है
इसमे अधिक दबाव का खोल प्रयोग किया जाता है
यह भी प्राथमिक सेल है यह अनेक अमापो और विन्यासो में उपलब्ध होते हैं
लिथियम के साथ प्रयुक्त रसायनों पर आधारित सेल की वोल्टेज 2.5 से 3.6 V वोल्ट के बीच होती है
यह अन्य प्रायमरी सेल से उच्च वोल्टेज रखते हैं इसकी आयु 10 वर्ष होती है तथा इनमें उच्च ऊर्जा और भार अनुपात होता है
यह सेल -50 से +75 डिग्री सेल्सियस में उपयोग किया जाता है
यह सेल मुख्यतः घड़ियों, टॉर्च ,एवं हृदय संबंधी पेसमेकर इत्यादि में उपयोग किया जाता है
* Trouble shooting of cell
{सेलो का दोष एवं निवारण }
[1] Corracion कोरोजोन
सेल के टर्मिनल तांबे से बने होते हैं और उसमें शीर्ष की परत चढ़ा दी जाती हैं
वायु की नमी तथा h2 so4 के द्वारा टर्मिनल पर ऑक्साइड की अचालक परत पैदा हो जाती हैं यह परत नीली या सफेद होती है
यह सेल का चालक तार से उचित संपर्क नहीं होने देती है
यह दोष कोरोजोन कहलाता है इसके निवारण हेतु टर्मिनल को समय-समय पर गर्म पानी तथा कपड़े से साफ करके उसके ऊपर ग्रीस लगाते हैं
[2] सेंडिमेंटेसन
सेलो को बार बार चार्ज करने और डिस्चार्ज करने की प्रक्रिया में सेलो की प्लेट से कुछ चूर्ण झड़ जाते हैं
इसके अतिरिक्त इलेक्ट्रोलाइट में विद्यमान जल का विद्युत अपघटन होने की क्रिया में जल अशुद्धियों सेलो की तली में जमा हो जाती है इस प्रकार कुछ महीनों में शेलो की तली में काफी चूर्ण एकत्र हो जाते हैं जिससे प्लेटों में शॉर्ट सर्किट पैदा होने की संभावनाएं पैदा हो सकती है यह दोष सेेंडिमेंटसन कहलाता हैं
इस दोष के निवारण केेेेे लिए सदैव अशुद्ध जल का ही प्रयोग करना चाहिए !
[3] Sulphation
यदि लेड एसिड सेल का 1 सप्ताह से अधिक समय तक डिस्चार्ज अवस्था में पड़ा रहा तो प्लेटों का लीड सल्फेट करा tight होने लगता हैऔर सेल दोबारा चार्ज करने के योग्य नहीं रहता यह दोष स्ल्फेेशन कहलाता है
इसके निवारण के लिए सेलों को सप्ताह में कम से कम एक बार अवश्य ही चार्ज है या डिस्चार्ज करना चाहिए ट्रिकल चार्जिंग method से भी सल्फेेशन युक्त बैटरी को नया जीवन दिया जा सकता है!
[4] Buckling
सेलो को निर्धारित दर 25 एंपियर से अधिक चार्ज अथवा डिस्चार्ज करने से बैटरी की प्लेट मुड़ जाती है जिससे आपस में शार्ट सर्किट पैदा हो जाती है और सेल बेकार हो जाता है यह दोष बकलिंग कहलाता है
इसके निवारण के लिए सोेलो की चार्जिंग अथवा डिस्चार्ज दर 25 एंपियर से अधिक नहीं होनी चाहिए!
{बैटरी की जांच अवस्था की जांच}
{1} हाइडरोमीटर
यह द्रव्य की आपेक्षिक घनत्व मापने वाला यंत्र है इसमें पॉलिग्लास की एक बड़ी नली होती है नली की ऊपरी सिरे पर एक रबड़ कोर्क तथा एक रबर बल्बब होता है नली के निचले सिरे पर एक कौर्क तथा रबर ट्यूब होता है नली के बीच में एक फ्लेट होता है जब रबड़ बल्ब को दबाकर धीरे-धीरे मुक्त करते हुए नली में अम्ल या र्दव्य भरा जाता है तो फ्लेट उसमें तैरने लगता है फ्लेट के पतले भाग पर अंकित चिन्ह अम्ल या द्रव्य का आपेक्षिक घनत्व दर्शाते हैं द्रव्य पतला होने पर फ्लैट का अधिक भाग उसमें डूब जाता है और इसके विपरीत गाढ़ा होने पर फ्लेट का अधिक भाग उसमें डूबता है बैटरी चार्जिंग कार्य में प्रयोग किए जाने वाले हाइड्रोमीटर में फ्लेट के पतले भाग पर पूर्ण चार्ज,अधर् चार्ज तथा डिस्चार्ज शब्द अंकित कर दिया जाता है !
{सेलो का समूहन}Grouping of cell
सेलो का समूह बैटरी कहलाता है
सेलो को निम्न तीन प्रकार के समूह में जोड़ा जा सकता है
[1] ऋेणी क्रम समूहन /series combination
एक सेल के विद्युत वाहक बल ,बल से अधिक विद्युत वाहक बल प्राप्त करने के लिए सेलों को श्रेणी क्रम समुहन में जोड़ा जाता है
इस विधि में एक सेल का ऋणआयन सीरा दूसरे सेल के धनायन सिरे से तथा दूसरे सेल का ऋण आयन सिरा तीसरे से लेकर धनायन सिरे से जोड़ा जाता है
इस प्रकार आवश्यकता अनुसार चाहे जितने सेल जोड़े जा सकते हैं
यदि सभी से सैलो का विद्युत वाहक बल समान हो तो कुल विद्युत वाहक बल ET = NE,
कुल आंतरिक प्रतिरोध RT=NR एवं
परिपथ में विद्युत धारा I= NE/NR+R
यहां, Et= कुल विद्युत वाहक बल in Volt
n = सैलो की संख्या
E=एक सेल का विद्युत वाहक बल, वोल्ट में
r=एक सेल का आंतरिक प्रतिरोध ,ओम में
rt=कुल आंतरिक प्रतिरोध ,ओम में
I=सर्किट करंट ,एम्पीयर मे
R=प्रतिरोध ,ओम में
[2] समांतर क्रम/ Parallel combination
एक सेल की अपेक्षा अधिक एंपियर की करंट अथवा अधिक समय तक करंट प्राप्त करने के लिए सेलों को समांतर क्रम में जोड़ा जाता है
इस विधि में सभी सेलों के धनायन सीरे एक और तथा ऋण आयन सिरे को दूसरी और जोड़ दिया जाता है
इस समूह में बैटरी का कुल विद्युत वाहक बल वही रहता है जो कि एक सेल में रहता है
बैटरी का कुल आंतरिक प्रतिरोध एक सेल की आंतरिक प्रतिरोध की अपेक्षा घट जाता है
विद्युत वाहक बल Et = E
कुल आंतरिक प्रतिरोध rt = r/m
परिपथ में कुल विद्युत धारा I= E/r/n+r
[3] मिश्रित क्रम समूहन mixed combination
एक सेल अपेक्षा अधिक विद्युत वाहक बल और अधिक करंट प्राप्त करने के लिए सेलो को मिश्रित समूह में बनाया जाता है इसमें सेलो के श्रेणी समूहों को समांतर समुहन में जोड़ दिया जाता है इसे ही मिश्रित समूह कहते हैं
यदि संयोजन में e वोल्टेज वाले n सेल श्रेणी में संयोजित हो तथा इस प्रकार श्रेणी समूह की संख्या m हो तब संयोजन का कुल विद्युत वाहक बल et= me
कुल आंतरिक प्रतिरोध rt = nr/m
एवं संयोजन में प्रवाहित होने वाला विद्युत धारा I = ne/nr/m+R.
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