OSI model

Definition 
ओ एस आई रेफरेंस मॉडल ( open system interconnection) ,यह विवरण देेेेता है कि   संचार को संभव बनाने के लिए किस तरह हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर एक साथ मिलकर लेयर्ड फंक्शन में कार्य करते हैं 

History 
इंटरनेशनल ऑर्गेनाइजेशन फॉर स्टैंडर्डाइजेशन{IOS} ने 1978 में विशिष्ट रूप से   नेटवर्क आर्किटेक्चर का निर्माण किया जो असमान  युक्तियों को संयोजित करने के लिए प्रयोग किया गया इसके बाद 1984 में  ISO(international standerd org)   ने इस मॉडल के संशोधित रूप का प्रारूप बनाया जिसे ओपन सिस्टम इंटरकनेक्शन का रेफरेंस मॉडल कहा गया

कंप्यूटर नेटवर्किंग में इस मॉडल का प्रयोग विभिन्न कंप्यूटरों के मध्य संयोजन स्थापित करने के लिए किया जाता है 
यह अधिकतम रउटिंग प्रोटोकोल को सपोर्ट करता है एवं किसी संस्था के माध्यम इंटरनेटवर्किंग  स्थापित करने का भी कार्य ओ एस आई मॉडल द्वारा किया जाना संभव है

यह मॉडल इंटरनेशनल स्टैंडर्ड बन चुका है विभिन्न निर्माता कंपनियों द्वारा अपने अपने नेटवर्क प्रोडक्ट को डिजाइन करते समय OSI  रेफरेंस मॉडल का अनुपालन किया जाता है


 इसमे 7 लेयर होते हैं सातों लेयर के अलग-अलग कार्य होते हैं 


 प्रत्येक  लेयर पर अलग-अलग प्रोटोकॉल्स कार्य करते हैं
 इसमें से प्रथम 3 लेयर यानि :एप्लीकेशन लेयर ,प्रेजेंटेशन लेयर ,सेशन लेयर, एप्लीकेशंस पर कार्य करते हैं तो  लास्ट 3 लेयर नेटवर्क लेयर ,डाटा लिंक लेयर और फिजिकल लेयर हार्डवेयर पर कार्य  करते हैं एवं बीच का  ट्रांसपोर्ट लेयर यह ओ एस आई मॉडल का हार्ट  होता है जो दोनों के बीच संबंध स्थापित करता है  

 उदाहरण - जब कंप्यूटर A,  नेटवर्क लेयर  से इंफॉर्मेशन भेजती है तो वह इंफॉर्मेशन सेंडिंग कंप्यूटर पर डाटा लिंक लेयर और फिर फिजिकल लेयर से होकर गुजरती है  मतलब, नीचे की ओर पास करती है जबकि कंप्यूटर B, जो  रिसीविंग कंप्यूटर है उस पर भेजी गई इंफॉर्मेशन फिजिकल लेयर से होते हुए डाटा लिंक लेयर और फिर नेटवर्क लेयर तक पहुंचती है मतलब,  ऊपर की ओर पास करती है

अब ओ एस आई मॉडल के सातों लेयर के बारे में विस्तार पूर्वक अध्ययन करेंगे।

 फिजिकल लेयर
 यह ओ एस आई रेफरेंस मॉडल की सबसे निचली लेयर  हार्डवेयर ओरिएंटेड होती है  
इससे हार्डवेयर लेयर भी कहते हैं
 यह डेटा को वायर के माध्यम से कनेक्टिंग डिवाइस पर डाटा को एक-एक बिट  करके प्रेषित व रिसीव  करता है 

इसमें वाईफाई ,पीएलसी ,इथरनेट फिजिकल लेयर एवं मॉडम्स प्रोटोकॉल कार्य करते हैं

डाटा लिंक लेयर 
यह डाटा को फ्रेम में पुनः भेजती है 
यह लेयर त्रुटि रहित डाटा ट्रांसफर करती है
 यह निरंतरता के लिए  प्राप्त सूचनाओं की जांच करता है एवं चैनल एक्सेस और फ्लो कंट्रोल को व्यवस्थित करता है तथा ट्रांसमिट डेटा का सही क्रम सुनिश्चित करता है 
डेटा लिंक लेयर को इंस्टीट्यूट ऑफ इलेक्ट्रिकल एंड इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरस ( IEEE)ने दो भागों में विभाजित किया है लॉजिकल लिंक कंट्रोल LLC एवं दूसरा मीडिया एक्सेस कंट्रोल MAC. 
MAC -यह एक प्रोटोकोल है जब नेटवर्क बहुत व्यस्त होता है तब एमएससी यूजर को कम समय में डाटा एक्सेस करा देता है जिससे यूजर को प्रतीक्षा नहीं करनी पड़ती 
LLC - फिजिकल लिंक लेयर पर विश्वासनिय  डेटा ट्रांसफर करता है वास्तव में यह फिजिकल लेयर  को व्यवस्थित करने का भी कार्य करता है

इसमें PPP, HDLC, LAPB, ARP, ISDN, FDDI प्रोटोकॉल कार्य करते हैं

Network layer 
यह फ्रेम में आई डेटा का अलग-अलग पैकेट्स बनाती है  जिसकी सप्लाई ट्रांसपोर्ट लेयर पर जाती है यह  प्रेषित और प्राप्त करने वाले  कंप्यूटर के  बीच एक रूट का निर्माण करती है
यह डाटा को रीसेंबल करती है 
इसमें IP protocol, CIDR, NAT, ARP, BOOTP, and RARP  प्रोटोकॉल कार्य करते हैं

transport Layer 

यह लेयर नेटवर्क लेयर से आई हुई पैकेट बिना किसी एयर के सही क्रम में और बिना छति के डिलीवरी करती है
 यह डाटा भेजने वाले कंप्यूटर पर लंबे मैसेज को अनेक छोटे छोटे पैकेट में विभाजित करके उन्हें एकत्र करती है
इसमे TCP, UDP, DCCP, SCTP, RSVP, ECN protocol  कार्य करते हैं 

Session layer 
सेशन लेयर दो विभिन्न कंप्यूटर्स पर रन कर रही दो एप्लीकेशन के एक कनेक्शन को ओपन करने,  उसे प्रयोग करने और पुनः क्लोज करने की अनुमति देती है इसी कनेक्शन को एक सेशन कहा जाता है
यह लेयर यह निर्णय करता है कि कब कंप्यूटर के बीच कम्युनिकेशन ऑन  और ऑफ होना है 
इसमे ADSP, ASP, ISO-SP, L2TP, SMNP, SDP, ZIP, NET and BIOS protocol  कार्य करते हैं

Presentation layer 
यह प्राप्त एवं प्रेषित किए डेटा को एक प्रेजेंटेशन फॉरमैट से दूसरे में प्रेजेंटेशन फॉरमैट परिवर्तित करते हैं
जब डाटा विभिन्न प्रकार के कंप्यूटर सिस्टमओं के बीच भेजा जाता है तब प्रेजेंटेशन लेयर उस रूट को व्यवस्थित करता है जिस पर डाटा भेजा है और इनकोड किया गया है 
उदाहरण के लिए यह अमेरिकन स्टैंडर्ड कोड फॉर इनफॉरमेशन इंटरचेंज और एक्सटेंड बाइनरी कोडेड  डेसीमल इंटरचेंज कोड कंप्यूटरों के साथ-साथ विभिन्न floating-point और बायनरी फॉर्मेट के बीच एक जैसा नाम प्रदान करती है
 इस लेयर को नेटवर्क का ट्रांसलेटर भी कहा जाता है
इसमेंAFP, ASCII, EBCDIC, NDR, ICA, NCP, XDR etc protocol  कार्य करते हैं

Application Layer 
 OSI  रेफरेंस मॉडल की सबसे ऊपरी लेयर एप्लीकेशन लेयर होती है 
यह कम्प्यूटर  में चल रहे सॉफ्टवेयर और नेटवर्क के बीच इंटरफेस प्रदान करता है
यह लेयर यूजर एप्लीकेशन जैसे फाइल ट्रांसफर डेटाबेस एक्सेस और ईमेल के लिए सॉफ्टवेयर का समर्थन करती है
यह लेयर एक विंडो की भांति कार्य करती है जिसके माध्यम से एप्लीकेशन प्रोसेस एस नेटवर्क सर्विस को एक्सेस किया जा सकता है
एप्लीकेशन लेयर के प्रोटोकॉल अपने आप में प्रोग्राम होते हैं जैसे FTP, SMTP, EMAIL , Telnet etc. 




            Thanks for Reading 
                    - पारसनाथ 




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